इस वर्ष दीपावली पर्व की तिथि को लेकर मतभेद और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पं कृष्णा पाराशर के अनुसार, धार्मिक ग्रथ" धर्म सिंधु' और 'निर्णय सिंधु' के आधार पर दीपावली का पर्व 1 नवंबर को मनाया जाना उचित है, जबकि धनतेरस 29 अक्यूबर को पड़ रहा है। पं. पाराशर बताते हैं कि धर्म सिंधु के अनुसार अमावस्या को प्रदोष व्यापिनी होना चाहिए, यानी अमावस्या का समय उस दिन के संध्याकाल को छना आवश्यक है। इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:56 बजे से शुरूहोगी और एक नवंबर को सायं 5:32 बजे समाप्त होगी। ऐसे में प्रदोष काल को देखते हुए दीपावली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमावस्या यदि दो दिन पड़ती है और दोनों दिन प्रदोष काल को छूतीहै, तो : दूसरे दिन लक्षम पूजन करना उचित होता है। प्रथम दिन की अमावस्या पितरों के लिए मानी जाती है, इसलिए पहले पितरों की पूजा की जाती है और इसके बादं ही लक्ष्मी पूजन होता है। निर्णय सिधु के अनुसार भी, यदि अमावस्या प्रदोष काल को दोनों दिन व्यापती है, तो दीपावली का पूजन अगले दिन करना चाहिए। बताया कि इस वर्ष 29 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व होगा, जो दीपावली की पूर्व तैयारी का प्रतीक है। इस प्रकार, पं.कृष्णा पाराशर के अनुसार, 1 नवंबर को अमावस्या प्रदोष व्यापिनी होने के कारण दीपावली और लक्ष्मी पूजन का सही समय वही होगा।
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Nice
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