राखीगढ़ी निकला देश की सबसे पुरानी मानव सभ्यता का शहर

राखीगढ़ी निकला देश की सबसे पुरानी मानव सभ्यता का शहर|

राखीगढ़ी - 5500 से 1800 ईसा. पूर्व तक
अब तक 6500 साल पहले की हड़प्पा सभ्यता मानी जाती थी सबसे पुरानी
पुरातत्वविद्ों का दावा: यह रिपोर्ट बदल देगी विश्व इतिहास के मायने
डेक्कन डीम्ड यूनिवर्सिटी की शोध रिपोर्ट जल्द आएगी सामने
राखीगढ़ी के लोगों ने हड़प्पा से लेकर मेसोपोटामिया, अफगानिस्तान व इजिप्ट तक में विकसित की नगरीय सभ्यता
पानीपत (गिरजेश मिश्रा). हिसार के ऐतिहासिक गांव राखीगढ़ी के आसपास करीब 8000 साल पहले भी मानव सभ्यता मौजूद थी। आज का राखीगढ़ी, उस दौर में देश का पहला सुनियोजित नगर (प्लांड सिटी) हुआ करता था। यह खोज देश-दुनिया का इतिहास बदलने वाली है, क्योंकि अब तक पाकिस्तान (तब भारतवर्ष का हिस्सा) के सिंध प्रांत में सिंधु घाटी के आसपास बसी 6500 साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता को देश की सबसे पुरानी सभ्यता माना जाता था। हड़प्पा सभ्यता बाहर के लोगों ने नहीं, हमारे ही लोगों ने बसाई थी, इसलिए हरियाणा को क्रेडल ऑफ इंडियन सिविलाइजेशन (भारतीय सभ्यता का पालक) माना जाता है। 

 

यह कहना है डेक्कन डीम्ड यूनिवर्सिटी पुणे के पुरातत्वविद प्रोफेसर वसंत शिंदे का। प्रोफेसर शिंदे के नेतृत्व में ही 2015 में राखीगढ़ी के आसपास 900 स्क्वायर मीटर में खुदाई की गई थी, जिसमें कई कंकाल और सभ्यता के अवशेष मिले थे। अवशेषों की यूएस की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी, लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, कोरिया से स्योल नेशनल यूनिवर्सिटी व हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलिक्यूलर बॉयोलॉजी में इन पर काम चल रहा है। इन जगहों से आई रिपोर्ट का फाइनल एनालिसिस डेक्कन यूनिवर्सिटी में किया गया, जिसकी रिपोर्ट 10 दिन में तैयार हो जाएगी। 

 

शिंदे के मुताबिक यह प्रचलित तथ्य भी गलत साबित हुआ है कि हड़प्पा के प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो को पश्चिमी मेसोपोटामिया (ईराक, कुवैत, सीरिया-तुर्की के कुछ हिस्से यानी आज का पश्चिम एशिया रीजन) के लोगों ने आकर बसाया था। उल्टा यह साबित हो रहा है कि हमारे यहां के लोगों ने हड़प्पा, मेसोपोटामिया, ईजिप्ट आदि सभ्यताओं के निर्माण में योगदान दिया। राखीगढ़ी मनुष्य के सभ्य होने के क्रमिक विकास का बेहद शानदार उदाहरण है। जल्द ही हड़प्पा सभ्यता की थ्योरी को राखीगढ़ी वैज्ञानिक प्रमाणों के बारे में बदलने वाली है। 

 

प्रोफेसर शिंदे के नेतृत्व में ही 2015 में राखीगढ़ी के आसपास खुदाई हुई थी, जिसमें कई कंकाल और सभ्यता के अवशेष मिले थे। प्रो शिंदे ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास क्रम की शुरुआत राखीगढ़ी से ही हुई है। इसके बाद हड़प्पा सभ्यता का विकास हुआ। धीरे-धीरे क्रमिक विकास कैसे होता है यह हमने राखीगढ़ी में दिखाया है। एक गांव छोटा कस्बा था। वह बाद में सुनियोजित नगर के रूप में उभर कर सामने आया। उत्खनन और शोध की बड़ी बात यह है कि सभ्यता की खोज की शुरुआत (डिस्कवरी) 1920 में हुई थी। हम इस प्रयास के सौ साल पूरे करने जा रहे हैं। पहली बार हम वैज्ञानिक तरीके से राखीगढ़ी को सिद्ध कर रहे हैं कि यहां के लोग कौन थे। 

 

पुरातात्विक मामलों की समझ रखने वाले विजय नारायण सिंह ने कहा कि राखीगढ़ी की रिसर्च रिपोर्ट इतिहास को बदल देगी। वहीं, डॉक्टर अमित राय जैन ने कहा कि इन तथ्यों के आधिकारिक तौर पर सामने आने के बाद दुनिया को भारत का लोहा मानना ही पड़ेगा।

 

इंडियन थे आर्य, इनके बाहर से आने का कोई प्रमाण नहीं : प्रोफेसर शिंदे 

प्रो. शिंदे ने दावा किया कि आर्य भारतीय ही थे। इनके कहीं और से आने का ठोस प्रमाण नहीं है। इनके बाहर की दुनिया से संबंध थे। इनका ईरान, इजिप्ट (मिस्र) से मेल-जोल भी हुआ। डीएनए से बताएंगे कि ये लोग थे कौन। यह भी फैक्ट प्रूव हो रहा है कि हमने ही हड़प्पा सभ्यता विकासित की थी। राखीगढ़ी ने सबसे बड़े पुरातात्विक महत्व के शहर मोहनजोदड़ो को प्रचीनता में पीछे छोड़ दिया है। हरियाणा के सात उत्खनन स्थलों से एक जैसी तारीखें मिली हैं। आर्यों के बाहर से आने के सिद्धांत को खारिज किया है। बहरहाल, डीएनए रिपोर्ट पर कुछ भी विस्तार से बताने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि डीएनए रिपोर्ट का रिव्यू कर रहे हैं।

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