मामा की पुत्री से विवाह

मामा की पुत्री से विवाह के उदाहरण - 
   अर्जुन ने अपने मामा की लड़की सुभद्रा से विवाह किया जिससे उसका पुत्र अभिमन्यु पैदा हुआ। कुन्ती और सुभद्रा के पिता सगे भाई-बहन थे, दोनों शूरसेन की सन्तान थे। कुन्ती का वास्तविक नाम पृथा था, राजा कुन्तीभोज ने पिता शूरसेन से गोद लेने के कारण कुन्ती पड़ा। इसलिए तो अर्जुन को पार्थ कहा जाता है।

    वासुदेव की दो पत्नियाँ थीं . रोहिणी और देवकी। रोहिणी की सन्तान बलराम और सुभद्रा थे जबकि देवकी की सन्तान कृष्ण थे। 

    अभिमन्यु ने अपनी माता सुभद्रा के सगे भाई अर्थात अपने सगे मामा बलराम की पुत्री वत्सला से विवाह किया। सुभद्रा और बलराम एक ही माँ रोहिणी और वासुदेव की सन्तान थे। अभिमन्यु की दो पत्नियाँ थीं - 1. उत्तरा(विराट नरेश की पुत्री) 2. वत्सला (बलराम की पुत्री)

    श्रीकृष्ण के लड़के प्रद्युम्न का विवाह भी अपने मामा की लड़की रुक्मावती के साथ हुआ था। 

    श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध ने अपने मामा की लड़की रोचना से विवाह किया।

     परीक्षत ने अपने सगे मामा राजा उत्तर(विराट नरेश के पुत्र) की लड़की इरावती से विवाह किया था। 

     सहदेव ने अपने सगे मामा द्युतिमान(शल्य के भाई) की बेटी विजया से विवाह किया। 

     बुद्ध धर्म के स्थापक,सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) का विवाह अपने सगे मामा सुप्पबुद्ध की लड़की यशोधरा से हुआ था।

    बौद्ध राजा अजातशत्रु ने अपने सगे मामा प्रसेनजित को युद्ध में हराकर उनके बेटी वज्जिरा से जोर जबरदस्ती विवाह किया।  

    महावीर स्वामी ने अपनी पुत्री अनोज्जा(प्रियदर्शिनी) का विवाह सगी बहन सुदर्शना के पुत्र जमालि से किया।

    महावीर स्वामी के सगे बड़े भाई नन्दिवर्धन का विवाह सगे मामा राजा चेटक की पुत्री ज्येष्ठा से हुआ। महावीर की माता त्रिशला और चेटक भाई बहन थे।

    5वीं और 6वीं सदी के बीच प्रसिद्ध रहे मौखरि वंश के राजा आदित्यवर्मा के पुत्र ईश्वरवर्मा का विवाह सगे मामा उत्तरगुप्त वंश के राजा हर्षगुप्त की पुत्री उपगुप्ता से हुआ।

    छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र राजाराम का विवाह सगे मामा हम्बीराव मोहिते की पुत्री ताराबाई से हुआ। राजाराम की माता सोयराबाई, हम्बीराव मोहिते की सगी बहन थीं।

     मराठा राजा मल्हार राव होल्कर का विवाह सगे मामा भोजराजराव बारगल की पुत्री गौतमीबाई बारगल से हुआ। 

     ये सर्वविदित है कि प्राचीन समय से मामा की पुत्री से विवाह होता आया है। उसके पीछे सबसे प्रमुख कारणों में से है कि बुआ और बुआ के बेटे का मान पक्ष में होना, मान पक्ष का कुल सम्मानीय माना जाता है, और दूसरा प्रमुख कारण है मामा की पुत्री का गोत्र अलग होना और dna भी बिल्कुल नहीं मिलता। इसलिए मामा की लड़की से विवाह हो जाता था। 

     आज भी up के कई जिलों में मामा की कन्या से विवाह होता है। लेकिन बुआ की लड़की से नहीं होता और मेरे निजी विचार हैं कि करना भी नहीं चाहिए। बुआ के कुल में लड़की तो जा सकती है लेकिन बुआ के कुल से लड़की लेकर आना गलत है।

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