जन्म - 4 अगस्त, 1522 ई.
जन्म भूमि - चित्तौड़गढ़, राजस्थान
मृत्यु तिथि - 28 फ़रवरी, 1572 ई.
पिता- राणा साँगा
माता- कर्णवती
पत्नी - सात पत्नियाँ
संतान - 24 लड़के थे जिनमें प्रताप सिंह प्रमुख हैं जो बाद में महाराणा प्रताप कहलाए
उपाधि - महाराणा
राज्य सीमा - मेवाड़
शासन काल - 1537 - 1572 ई.शा. अवधि 35 वर्ष
राजधानी - उदयपुर
पन्ना धाय ने अपने पुत्र चंदन का बलिदान देकर ‘मेवाड़ के अभिशाप’ बने बनवीर से मेवाड़ के भविष्य के राणा उदयसिंह की प्राण रक्षा की थी और इन्हें सुरक्षित रूप में क़िले से निकालकर बाहर ले गयीं थीं।
राणा उदयसिंह मेवाड़ के राणा साँगा के पुत्र और राणा प्रताप के पिता थे।
इनका जन्म इनके पिता के मरने के बाद हुआ था और तभी गुजरात के बहादुरशाह ने चित्तौड़ नष्ट कर दिया था।
इनकी माता कर्णवती द्वारा हुमायूँ को राखीबंद भाई बनाने की बात इतिहास प्रसिद्ध है।
मेवाड़ की ख्यातों में इनकी रक्षा की अनेक अलौकिक कहानियाँ कही गई हैं।
उदयसिंह को कर्त्तव्यपरायण धाय पन्ना के साथ बलबीर से रक्षा के लिए जगह-जगह शरण लेनी पड़ी थी। उदयसिंह 1537 ई. में मेवाड़ के राणा हुए और कुछ ही दिनों के बाद अकबर ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर चढ़ाई की।
हज़ारों मेवाड़ियों की मृत्यु के बाद जब लगा कि चित्तौड़गढ़ अब न बचेगा तब जयमल और पत्ता आदि वीरा के हाथ में उसे छोड़ उदयसिंह अरावली के घने जंगलों में चले गए। वहाँ उन्होंने नदी की बाढ़ रोक उदयसागर नामक सरोवर का निर्माण किया था।
वहीं उदयसिंह ने अपनी नई राजधानी उदयपुर बसाई। चित्तौड़ के विध्वंस के चार वर्ष बाद उदयसिंह का देहांत हो गया...
ऐतिहासिक और विश्वविख्यात उदयपुर नगर को बसाने वाले महाराणा उदय सिंह जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन🙏
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