मेरे एक "मूलनिवासी" मित्र का दर्द

**मेरे एक "मूलनिवासी" मित्र का दर्द**

मित्रों !! आज मैं एयरपोर्ट पर गया था,मुझे मेरे संगठन की तरफ से पहली बार हवाई जहाज़ में बैठने का मौका मिला था,
मित्रों !! मैंने देखा कि एयरपोर्ट पर सबको नहीं जाने दिया जा रहा था,यह भेदभाव देखकर मुझे गुस्सा तो आया लेकिन मैं उसे पी गया,मेरी फ्लाइट थी "इंडीपो" हर जगह नीला नीला देखकर मैं गदगद हो गया,मैं जब फ्लाइट में चढ़ा तो मुझे मेरी सीट मिल गयी और मैं बैठ गया,

लेकिन मित्रों !! मैंने आगे देखा तो हमारी सीट से ज्यादा जगह वाली आरामदायक सीटों पर कुछ लोग पूरा पैर फैलाकर बैठे थे,और तो और उनको हवाई सुंदरियाँ कुछ ज्यादा ही आवभगत कर रही थी,उनको खाना पानी से लेकर सब सुविधा दी जा रही थी,यह देखकर मेरा माथा ठनका कि इस नीले जहाज में भी मनुवाद घुस गया है क्या ??
जरूर वह कोई सवर्ण ही होंगे जिनको हम मूल निवासियों से ज्यादा तवज्जो मिल रही है,

मुझसे रहा नहीं गया और मैने हवाई सुंदरियों से इस पर आपत्ति उठायी,

उन्होंने बताया कि ये बिजनेस क्लास की सीट है और मेरी सीट इकोनोमिक क्लास की है,
मित्रों !! यह सुनते ही मेरे तन बदन में आग लग गयी,

मैंने सोचा नीले हवाई जहाज के बावजूद भी यहाँ इतना बड़ा भेदभाव !! 
क्या इन्होंने बाबा साहब का संविधान नहीं पढ़ा ??

मित्रों !! संविधान खतरे में था,
मैंने तुरंत उस सीट पर बैठे व्यक्ति को धक्का देकर उठा दिया और स्वयं बैठ गया क्योंकि समान अधिकार पाना सबका हक है,किसी को मात्र उसके पैसे की वजह से बिजनेस क्लास की सीट पर बिठाना बाबा साहब का अपमान है,

यह देखकर कई मनुवादी मेरा विरोध करने लगे,

मित्रों !! मैं समान अधिकार के लिए लड़ ही रहा था तब तक मेरी नज़र सामने दरवाजे पर गयी,जिस पर लिखा था "काकपिट" और मित्रों आप लोग आश्चर्य करेंगे कि उस दरवाजे पर लिखा था "Restricted Entry" "Only Crew"
मित्रों !! आप नहीं जानते कि यह देखकर मैं कितना आग बबूला हो गया,मुझे समझ आ गया कि इस जहाज को नीला दिखाकर अंदर ही अंदर मनुवाद चल रहा है,

मैंने सोचा कि आज यह भेदभाव में खत्म कर के ही दम लूँगा,मैंने उस दरवाजे को खटखटाया तो अंदर से दरवाजा किसी ने खोला,

मित्रों आप यकीन नहीं करोगे कि वहाँ दो घोर मनुवादी कान में कुछ लगाकर आराम से सीट पर बैठे थे और इंजन के बटन दबा रहे थे और माइक में कुछ बोल रहे थे,

मैंने कहा यह सुविधा सबको मिलनी चाहिए,हमें माइक क्यों नहीं दिया गया ?
हमें काकपिट के अंदर या इंजन रूम में घुसने क्यों नहीं दिया गया ??

बस मित्रों !! मेरे अंदर का ज्वालामुखी फट पड़ा,मैं बिजनेस सीट को भूलकर सीधे काकपिट में घुसने लगा,हवाई सुंदरी ने कहा कि इसमें सिर्फ पायलट का ही प्रवेश है,

मैंने कहा यही भेदभाव हमारे साथ 5000 वर्षों से तुम लोग करते आ रहे हो और अब भी मन नहीं भरा ??

सबको समान अधिकार दो यह कहते हुए मैं धक्का देकर कॉकपिट में घुस कर उस मनुवादीयों की सीट पर जा बैठा,
लेकिन मित्रों !! उन लोगों ने मुझे मारा और फ्लाइट से नीचे उतार दिया,

मित्रों मुझे एक बात नहीं समझ आती कि ये मनुवाद कितना हावी है कि बाबा साहब के संविधान को भी नहीं मानती ?

यह भेदभाव कब तक चलेगा मित्रों ??
आप सब मेरा साथ दें,मेरे एक नीले साथी ने बताया है कि यह भेदभाव और यह मनुवाद पूरे विश्व में सभी फ्लाइट्स में अपना पैर पसार चुका है,

लेकिन हम आवाज़ उठाएंगे,पायलटवाद मुर्दाबाद,बिजनेस क्लास मुर्दाबाद,

साथियों इसको इतना फैलाओ कि यह भेदभाव सभी हवाई सुंदरियों से लेकर सभी फ्लाइट्स में खत्म हो जाये,

नोट:-और मैंने उसी दिन तय कर लिया कि भाई मुझे मेरे मूलनिवास(यूरेशिया)का पता दे दो मैं पैदल ही चला जाऊंगा,
साभार:-अज्ञात
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