अंधश्रद्धा मुक्त सुशिक्षित लोगो का सच?

सूशिक्षीत अडाणींचे वैशिष्ट्य...
थोडक्यात येड्यांचा बाजार बिग बाजार....
खूदको पढेलिखे समजने वालो हम कीतने सुशिक्षित है यह समजने के लिए निचे लिखा पढो ....
● सूबह घूमने के लिए जाना होता है तो दो किलोमिटर बाईक पे जाता है ओर वहा से घूमना शूरू करता है
😌चिजे खरेदी करते है तो हम कीतने हूशार है...
● टॉयलेट धोने का हार्पिक अलग,
● बाथरूम धोने का अलग.
● टॉयलेट की बदबू दूर करने के लिए खुशबू छोड़ने वाली टिकिया भी जरुरी है.
● कपडे हाथ से धो रहे हो तो अलग वाॅशिंग पाउडर
और
मशीन से धो रहे हो तो खास तरह का पाउडर...
(नहीं तो तुम्हारी 20000 की मशीन बकेट से ज्यादा कुछ नहीं.)
● और हाँ, कॉलर का मैल हटाने का व्हॅनिश तो घर में होगा ही,
● हाथ धोने के लिए
नहाने वाला साबुन तो दूर की बात,
● लिक्विड ही यूज करो,
साबुन से कीटाणु 'ट्रांसफर' होते है
(ये तो वो ही बात हो गई कि कीड़े मारनेवाली दवा में कीड़े पड़ गए)
● बाल धोने के लिए शैम्पू ही पर्याप्त नहीं,
● कंडीशनर भी जरुरी है,
● फिर बॉडी लोशन,
● फेस वाॅश,
● डियोड्रेंट,
● हेयर जेल,
● सनस्क्रीन क्रीम,
● स्क्रब,
● 'गोरा' बनाने वाली क्रीम
लेना अनिवार्य है ही.(लडकी ओर लडके की अलग)
●और हाँ दूध
( जो खुद शक्तिवर्धक है)
की शक्ति बढाने के लिए हॉर्लिक्स मिलाना तो भूले नहीं न आप...
● मुन्ने का हॉर्लिक्स अलग,
● मुन्ने की मम्मी का अलग,
● और मुन्ने के पापा का डिफरेंट.
● साँस की बदबू दूर करने के लिये ब्रश करना ही पर्याप्त नहीं,
माउथ वाश से कुल्ले करना भी जरुरी है....

हम अक्सर  अंधश्रद्धा के नाम पे अशिक्षीत लोगो का मजाक उडाते है क्या हम सच मूछ पढे लिखे है?


कुछ हमारी बदलती सोच भी है!
*और दिनरात टीव्ही पर दिखाये जानवाले विज्ञापनोंका परिणाम है!*

आजकल पढेलिखे लोग माॅ बाप की सेवा नही करते, उनको पास भी नही रखते...पर कूत्पतो का खयाल जरूर रखते है..पडोसी से बात नही करते, पर सोशल मेडीया पे कीसी गरीब, भिकारी की चिंता करते दिखाई देते है...

हर पढालिखा झूठी चिजो मे विश्वास रखता है...

ओर झूठी चिजे देखना करना पंसद करता है...

क्या सिर्फ अंधश्रद्धा धार्मिक चिजो मे ही है...

सच तो यह है की अधूनिक समाज सबसे अंधश्रद्धाळु है...!


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