Food for thoughts

•मैखाने मे आऊंगा मगर...
पिऊंगा नही साकी...
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात
नही रखती......
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"खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं, ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं" !!
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हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली।
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली।
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ।
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।।....
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तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे!
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हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,
ना जाने कितने सवालों की आबरू रखती है !
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"सूरज ढला तो
 कद से ऊँचे हो गए साये,
 कभी पैरों से रौंदी थी,
 यहीं परछाइयां हमने..
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काग़ज़ की कश्ती थी
पानी का किनारा था।
खेलने की मस्ती थी
ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए
इस समझदारी के दलदल में।
वो नादान बचपन भी
कितना प्यारा था ...!
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जमीन छुपाने के लिए गगन होता है...
दिल छुपाने के लिए बदन होता है....
शायद मरने के बाद भी छुपाये जाते है ग़म....इस लिए हर लाश पे कफ़न होता है
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मेरे लफ़्ज़ों से न कर
 मेरे क़िरदार का फ़ैसला ll
तेरा वज़ूद मिट जायेगा
 मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते l
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कब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं,
लोग मरते हैं तो गु़रूर कहाँ जाता है.
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किनारे पर तैरने वाली
लाश को देखकर
ये समझ आया…
बोझ शरीर का नही साँसों का था..!!
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यह जो मेरी क़ब्र पर रोते हैं,
अभी ऊठ जाऊँ,
तो ये जीने न दे..!!
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मेरे पीठ पर जो जख्म़ है,
वो अपनों की निशानी हैं,
वरना सीना तो आज
भी दुश्मनो के इंतजार मे बैठा है..
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जरुरत तोड देती है
इन्सान के घमंड को..
न होती मजबूरी तो
हर बंदा खुदा होता.!!!
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जिसको गलत तस्वीर दिखाई,
उसको ही बस खुश रख पाया.
जिसके सामने आईना रक्खा,
हर शख्स वो मुझसे रूठ गया..!!
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इस जमाने मे वफा की तलाश ना कर गाफि़ल
वो वक्त और था..
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे होते थे..!!!
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आज अजीब किस्सा देखा हमने खुदकुशी का,
एक शख्स ने ज़िन्दगी से तंग आकर..
मुहब्बत कर ली
•मैने बहोत से ईन्सान देखे है,
जिनके बदन पर लिबास नही होता।
और बहोत से लिबास देखे है,
जिनके अंदर ईन्सान नही होता ।
•कोई हालात नहीं समझता ,
कोई जज़्बात नहीं समझता ,
•ये तो बस अपनी अपनी समझ है ,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है
•तो कोई पूरी किताब नहीं समझता!!****

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