कुंडली मे निर्मित भाव योग व ग्रहः योग फल !

कुंडली मे निर्मित भाव योग व ग्रहः योग फल !

👍बृहद् पाराशर होरा शास्त्र के मुताबिक ज्योतिष में दो तरह के योग होते हैं। पहला योग वो जो कुण्डली के **भावों से बनता है जबकि दूसरे प्रकार का योग वो होता है जो ***ग्रहों से बनता है। 

👍👍ज्योतिष के सबसे शक्तिशाली और शुभ योग या **राजयोग **ग्रहों से नहीं बल्कि कुण्डली के भावों से बनते हैं, जिसे ज्योतिष की भाषा में “भाव योग” कहा जाता है। 

👍👍ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में कुल 32 प्रकार के मुख्य राजयोग बताए गए हैं। इनमें भाव से बनने वाले कुछ शक्तिशाली राजयोग हैं** विपरीत राजयोग, **परिवर्तन योग आदि। 

👌👌 भावों से बनने वाले राजयोग में नवमांश कुँडली का **महत्व बढ़ जाता है।

👌👌कुण्डली के **भावों से बनने वाले योग जिन्दगी भर अपना फल देते हैं जबकि ग्रहों से बनने वाले योग के साथ ऐसा नहीं होता है। 

👍👍ग्रहों से बनने वाले शुभ योग के प्रभाव के लिए हमें उस ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा का चलना ज़रूरी होता है।

 👍परन्तु भावों से बनने वाले&* राजयोग के लिए ऐसा नहीं है खासतौर पर तब जब ये राजयोग नवमांश कुण्डली के साथ बन रहा हो या फिर केन्द्र और त्रिकोण के स्वामियों के परिवर्तन से बन रहा हो।

👍👍 कुण्डली में दो या दो से अधिक ग्रह एक साथ किसी भाव में बैठ जाएं या फिर वो अलग-अलग भावों में बैठकर एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हों तो इस प्रकार से बनने वाले योग को ***ग्रहों के द्वारा बनने वाला योग कहा जाता है। जिसे ज्योतिषीय भाषा में** युति और **प्रतियुति कहा जाता है। ये योग शुभ भी हो सकते हैं और अशुभ भी

💐💐 कुण्डली के **भावों से बनने वाले शुभ राजयोग 💐💐

👌👌👍भाव पर दृष्टि

👌👌भाव से बनने वाला महत्वपूर्ण योग है जब कुण्डली में किसी भाव का स्वामी अपने भाव पर दृष्टि डाल रहा हो। इसमें भाव कारक भी शामिल है अर्थात् किसी भाव का कारक ग्रह अपने उस भाव पर दृष्टि डाल रहा हो तो भी वो हमेशा शुभ और अच्छा परिणाम देता है। यही वजह है कि लग्नेश का लग्न में बैठने से कहीं बेहतर होता है 

👍👍लग्नेश का लग्न पर दृष्टि डालना। 👌

👌👌कुछ व्यक्तियों की कुण्डली में कोई राजयोग या लक्ष्मीयोग नहीं होता उसके बावजूद वो सफल और धनवान होते हैं ऐसा इसीलिए होता है कि उनकी कुण्डली में भाव का स्वामी अपने भाव को देख रहा होता है।

👍👍 जैसे अगर दशमेश दशम भाव में बैठा हो तो वो सिर्फ अपनी दशा में ही अच्छे परिणाम देगा बावजूद इसके अगर दशमेश चतुर्थ भाव में बैठ कर दशम भाव पर दृष्टि डाल रहा हो तो वो हमेशा अच्छे परिणाम देगा।

💐💐👍भाव परिवर्तन योग💐💐

💐💐भाव से बनने वाला अगला शुभ योग है केन्द्र और त्रिकोण के स्वामियों का भाव परिवर्तन करना। 

💐💐अर्थात केन्द्र का स्वामी त्रिकोण में और त्रिकोण का स्वामी केन्द्र में।

👍👌 इसमें ज्यादातर यही मान सकते हैं कि ये ग्रहों से बनने वाला योग है। मगर ये ग्रह से ज्यादा भाव का स्वामी महत्वपूर्ण होता है। 

👍👍केन्द्र और त्रिकोण के भाव के स्वामियों का परस्पर एक-दूसरे के भाव में बैठने से केन्द्र और त्रिकोण हमेशा सक्रिय रहते हैं। 

👌चूँकि ये कुण्डली के सबसे शुभ भाव होते हैं इसलिए इनके लगातार सक्रिय होने से जीवन में ज्यादातर शुभ फलों की प्राप्ति होती रहती है।

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