जानिए- हिन्दू पुराणों में वर्णित 11 रोचक भविष्यवाणियां जो सच साबित हुई है व आगे भी होगी! हिन्दू शेयर जरूर करें….
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार अनिश्चित भविष्य के बीच एक निश्चित या तय भविष्य की रेखा चलती रहती है अर्थात भविष्य में कुछ घटनाओं का घटना तय है तो कुछ के बारे में कुछ भी नहीं कहा जाता सकता। भविष्य का निर्माण एक व्यक्ति, समूह या संगठन पर ही निर्भर नहीं है बल्कि इसमें प्राकृतिक तत्वों का भी योगदान रहता है। संभावनाएं अनंत हैं, लेकिन कुछ संभावनाओं के बारे में पुख्ता तौर पर कहा जा सकता है।
आप नीचे खड़े हैं तो यह नहीं देख पा रहे हैं कि 10 मिनट बाद आपके क्षेत्र में बारिश होने वाली है, लेकिन यदि आप किसी ऊंचे स्थान पर खड़े हैं तो आप दूर कहीं हो रही बारिश को देखकर नीचे खड़े लोगों से कह सकते हैं कि 10 मिनट बाद बारिश होने वाली है, फिर वे चाहे आपकी बातों पर विश्वास करें या न करें। 10 मिनट बाद ही उन्हें इसकी सचाई का पता चलेगा। इसी तरह भविष्य देखने वाले कहीं ओर खड़े हैं और हम सब नीचे… संभावनाएं अनंत हैं और उन्हीं अनंत संभावनाओं में से किसी एक संभावना को पकड़कर कोई भविष्यवाणी करता है। यहां हम इस बार लाए हैं हिन्दू पुराणों में वर्णित कुछ ऐसी भविष्यवाणियां जिन्हें जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे।
* संबंध होगा मात्र समझौता : भागवत पुराण के अनुसार कलयुग में विवाह बस एक समझौता होगा दो लोगों के बीच। इस युग में पुरुष और स्त्री साथ-साथ रहेंगे और व्यापार में सफलता छल पर निर्भर रहेगी। शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही महिला-पुरुष एक-दूसरे के साथ रहेंगे। पुरुषत्व का अर्थ सिर्फ पुरुष की संभोग शक्ति से जोड़कर ही देखा जाएगा। महिलाएं बेहद कड़वा बोलने लगेंगी और उनके चरित्र में नकारात्मकता घर चुकी होगी। उनके ऊपर न तो पिता का और न ही पति का जोर होगा।
वर्तमान में लिव-इन-रिलेशनशिप, समलैंगिक विवाह, जातिवाद, शराबखोरी, सिगरेट का प्रचलन, मिथ्या प्रेम-विवाह, दहेज प्रकरण, भ्रूण हत्या, कंडोम का प्रचलन और इसी तरह की तमाम बुराइयां उपरोक्त भविष्यवाणी को सच साबित करती हैं।
धन ही होगा सब कुछ : श्रीमद् भागवत पुराण में किए गए कलयुग के वर्णन में कहा गया है कि इस युग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा वो अधर्मी, अपवित्र और बेकार माना जाएगा और जिस व्यक्ति के पास जितना धन होगा वो उतना गुणी माना जाएगा और कानून, न्याय केवल एक शक्ति के आधार पर लागू किया जाएगा। व्यक्ति के अच्छे कुल की पहचान सिर्फ धन के आधार पर ही होगी। धन के लिए वे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों का रक्त बहाने में भी हिचक नहीं महसूस करेंगे।
श्रीमद् भागवत के श्लोक 12.2.21 से 12.3.42 तक कलयुग का वर्णन मिलता है। आगे के पन्नों पर हम इसी बारे में बताएंगे।
लोग झूठे, मांसभक्षी और भ्रष्ट होंगे : पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जाएगी और लोग सत्ता हासिल करने के लिए एक-दूसरे को मारेंगे। इन्हीं भ्रष्ट लोगों में से जो सबसे अधिक ताकतवर होगा, वही सत्ता को हथिया लेगा। जो व्यक्ति बहुत चालाक और स्वार्थी होगा, वो इस युग में बहुत विद्वान माना जाएगा। मनुष्य की सुंदरता उसके बालों से होगी। पेट भरना लोगों का लक्ष्य हो जाएगा।
नहीं बचेगी गाय : भागवत पुराण के अनुसार कलियुग की समाप्ति से पहले लोग सिर्फ और सिर्फ मछली खाकर और बकरी का दूध पीकर ही जीवन व्यतीत करेंगे, क्योंकि धरती पर एक भी गाय नहीं बचेगी।
घट जाएगी लोगों की आयु : कलियुग में व्यक्ति की अधिकतम आयु मात्र 50 वर्ष रह जाएगी और वे अपने बुजुर्गों की रक्षा या देखभाल नहीं कर पाएंगे। भविष्य में एक सामान्य व्यक्ति की उम्र मात्र 16 वर्ष रहेगी और 7-8 वर्ष की उम्र में लड़कियां गर्भधारण करने लगेंगी। धरती पर एक भी धार्मिक स्थल नहीं होगा और तारों की रोशनी भी कम पड़ती जाएगी। ऐसे हालातों में जन्म लेगा विष्णु का अगला और आखिरी अवतार ‘कल्कि’।
बदल जाएगा धरती का मौसम : अकाल और अत्यधिक करों द्वारा परेशान लोग पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, फल, फूल और बीज खाने को मजबूर हो जाएंगे। भयंकर सूखा पड़ेगा। ठंड, हवा, गर्मी, बारिश और बर्फ- ये सब लोगों को बहुत परेशान करेंगे।
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महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जलप्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वन पर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर 12 वर्षों तक लगातार बारिश होगी जिससे सारी धरती जलमग्न हो जाएगी।
वैदिक धर्म का होगा पतन : कलयुग में धर्म, सत्यवादिता, स्वच्छता, सहिष्णुता, दया, जीवन की अवधि, शारीरिक शक्ति और स्मृति सभी दिन-ब-दिन घटती जाएगी। लोग बस स्नान करके समझेंगे कि वे अंतरात्मा से भी साफ-सुथरे हो गए हैं।
धरती पर रहने वाला कोई व्यक्ति किसी भी तरह से वैदिक और धार्मिक कार्यों में रुचि नहीं लेगा, वह एक स्वच्छंद जीवन व्यतीत करेगा। कलयुग में वे लोग सिर्फ एक धागा पहनकर अपने को ब्राह्मण होने का दावा करेंगे।
‘अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख ईश्वर की तथा धर्मग्रंथों की प्रामाणिकता मांगने का दुस्साहस करेंगे। इसका अर्थ है कि उनके पाप जोर मार रहे हैं।’
‘ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों सौराष्ट्र, अवन्ती, अधीर, शूर, अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मणगण संस्कारशून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्रतुल्य हो जाएंगे।’
म्लेच्छों का राज होगा : हालांकि ऐसा तो पिछले सैकड़ों वर्षों से हैं। श्रीमद्मभागवत पुराणानुसार… ‘सिंधु तट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्म तेज से हीन नाममात्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा (राजनेता) आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।’ उल्लेखनीय है कि यहां सिर्फ सिंधु नदी के तट की ही बात है।
प्राचीनकाल में ‘म्लेच्छ’ उसे कहते थे, जो हिन्दुकुश पर्वत के उस पार रहता था और जिसने घुसपैठ करके अफगानिस्तान के बहुत बड़े इलाके को अपने अधीन कर लिया था। आजकल लोग म्लेच्छ का अर्थ गलत निकालते हैं। इन लोगों का धर्म कुछ भी हो लेकिन ये जाति से सभी म्लेच्छ हैं।
आप जानते हैं कि सिन्धु के ज्यादातर तटवर्ती इलाके अब पाकिस्तान का हिस्सा बन गए हैं। कुछ कश्मीर में हैं, जहां नाममात्र के द्विज अर्थात ब्राह्मण हैं। इन सभी (म्लेच्छों) के बारे में पुराणों में लिखा है कि… ‘ये सबके सब परले सिरे के झूठे, अधार्मिक और स्वल्प दान करने वाले होंगे। छोटी बातों को लेकर ही ये क्रोध के मारे आग-बबूला हो जाएंगे।’
अब आगे पढ़िए कश्मीर में ब्राह्मणों के साथ जो हुआ, ‘ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी। राजा के वेश में ये म्लेच्छ ही होंगे।’
‘राजा के वेश में ये म्लेच्छ होंगे’ का अर्थ है कि ऐसे लोग सत्ता में होंगे जिनका अपना कोई धर्म नहीं होगा। उनका धर्म सिर्फ सत्ता ही होगा। पूरे देश की यही हालत है। अब राजा (राजनेता) न तो क्षत्रित्व धारण करने वाले रहे और न ही ब्राह्मणत्व। यह शब्द जातिसूचक नहीं है।
राजधर्म तो लगभग समाप्त ही हो गया है तो ऐसी स्थिति में, ‘वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे। जब ऐसा शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसा ही स्वभाव, आचरण, भाषण की वृद्धि हो जाएगी। राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, आपस में वे भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंतत: सबके सब नष्ट हो जाएंगे।’ -भागवत पुराण (अध्याय ‘कलयुग की वंशावली’ से )
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने कहा- ‘हे नारद! भयंकर कलियुग के आने पर मनुष्य का आचरण दुष्ट हो जाएगा और योगी भी दुष्ट चित्त वाले होंगे। संसार में परस्पर विरोध फैल जाएगा। द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) दुष्ट कर्म करने वाले होंगे और विशेषकर राजाओं में चरित्रहीनता आ जाएगी। देश-देश और गांव-गांव में कष्ट बढ़ जाएंगे। संतजन दुःखी होंगे। अपने धर्म को छोड़कर लोग दूसरे धर्म का आश्रय लेंगे। देवताओं का देवत्व भी नष्ट हो जाएगा और उनका आशीर्वाद भी नहीं रहेगा। मनुष्यों की बुद्धि धर्म से विपरीत हो जाएगी और पृथ्वी पर म्लेच्छों के राज्य का विस्तार हो जाएगा।’
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गंगा और उसके तीर्थ लुप्त हो जाएंगे : कहते हैं कि गंगा नदी, केदारनाथ, बद्रीनाथ सहित सभी प्रमुख तीर्थ लुप्त हो जाएंगे और भविष्य में ‘भविष्यबद्री’ नाम का एक नया तीर्थ ही रहेगा। बद्रीनाथ की कथा के अनुसार सतयुग में देवताओं, ऋषि-मुनियों एवं साधारण मनुष्यों को भी भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन प्राप्त होते थे। इसके बाद आया त्रेतायुग। इस युग में भगवान सिर्फ देवताओं और ऋषियों को ही दर्शन देते थे, लेकिन द्वापर में भगवान विलीन ही हो गए। इनके स्थान पर एक विग्रह प्रकट हुआ। ऋषि-मुनियों और मनुष्यों को साधारण विग्रह से संतुष्ट होना पड़ा।
तस्यैव रूपं दृष्ट्वा च सर्वपापै: प्रमुच्यते।
जीवन्मक्तो भवेत् सोऽपि यो गतो बदरीबने।।
दृष्ट्वा रूपं नरस्यैव तथा नारायणस्य च।
केदारेश्वरनाम्नश्च मुक्तिभागी न संशय:।। -शिवपुराण
शास्त्रों के अनुसार सतयुग से लेकर द्वापर तक पाप का स्तर बढ़ता गया और भगवान के दर्शन दुर्लभ हो गए। द्वापर के बाद आया कलियुग, जो वर्तमान का युग है।
नृसिंह भगवान की मूर्ति : अब बद्रीनाथ में नहीं होंगे भगवान के दर्शन, क्योंकि मान्यता के अनुसार जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्ति का एक हाथ साल-दर-साल पतला होता जा रहा है।
भविष्यवाणी : माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा। भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे। पुराणों के अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में वर्तमान बद्रीनाथ धाम और केदारेश्वर धाम लुप्त हो जाएंगे और वर्षों बाद भविष्य में भविष्यबद्री नामक नए तीर्थ का उद्गम होगा।
पुराणों में बद्री-केदारनाथ के रूठने का जिक्र मिलता है। पुराणों के अनुसार कलियुग के 5,000 वर्ष बीत जाने के बाद पृथ्वी पर पाप का साम्राज्य होगा। कलियुग अपने चरम पर होगा तब लोगों की आस्था लोभ, लालच और काम पर आधारित होगी। सच्चे भक्तों की कमी हो जाएगी। ढोंगी और पाखंडी भक्तों और साधुओं का बोलबाला होगा। ढोंगी संतजन धर्म की गलत व्याख्या कर समाज को दिशाहीन कर देंगे, तब इसका परिणाम यह होगा कि धरती पर मनुष्यों के पाप को धोने वाली गंगा स्वर्ग लौट जाएगी।
कल्कि अवतार जन्म लेगा : ‘भविष्य दीपिका’ ग्रंथ के अनुसार शाक शालिवाहन के 1600 वर्ष व्यतीत हो जाने पर (विक्रम संवत् 1738) संपूर्ण जीवों के उद्धार के लिए इस ब्रह्मांड में ‘कल्कि’ का आगमन होगा। (अध्याय-3)
पद्मावती और केन नदी के मध्य विंध्याचल पर्वत के एक क्षेत्र में इन्द्रावती नामक परब्रह्म की आत्मा होगी। उनके अंदर परब्रह्म सच्चिदानंद विराजमान होकर पूर्ण ब्रह्म कहलाएंगे। वे प्राणियों का उद्धार करेंगे।
कल्कि पुराण हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में से एक है। यह एक उपपुराण है। इस पुराण में भगवान विष्णु के 10वें तथा अंतिम अवतार की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि विष्णु का अगला अवतार (महा अवतार) ‘कल्कि’ अवतार होगा। इसके अनुसार 4,320वीं शती में कलियुग के अंत के समय में कल्कि अवतार लेंगे।
कल्कि पुराण के अनुसार कल्कि का जन्म मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) के संभल जिले में होगा। वह अपने अभिभावकों की 5वीं संतान होगा और उसके पिता का नाम विष्णुयश अथवा माता का नाम सुमति होगा। कल्कि के भीतर दैवीय शक्तियां होंगी। सामान्य तौर पर वह बेहद खूबसूरत और श्वेत होगा लेकिन उसका क्रोधी रूप बेहद डरावना हो जाएगा। कल्कि बेहद बुद्धिमान और साहसी युवक होगा जिसके सोचने भर से ही अस्त्र-शस्त्र और वाहन उसके समक्ष उपस्थित होंगे। कल्कि सभी बुराइयों और बुरे व्यक्तियों का नाश कर पुन: सतयुग की स्थापना करेगा।
स्वर्ण युग होगा : ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्रीकृष्ण गंगा को बताते हैं कि कलियुग में एक स्वर्ण युग होगा जिसकी शुरुआत कलियुग के 5,000 वर्ष बाद होगी और यह सुनहरा युग अगले 10,000 वर्ष तक चलेगा। यह भविष्यवाणी भारत के संदर्भ में नहीं, बल्कि संपूर्ण धरती के संदर्भ में है। कलयुग के 5,000 वर्ष बीत चुके हैं और अब सभी ओर राजनीतिक शुद्धता और तकनीकी का युग शुरू हो चुका है। हर देश में क्रांति और आंदोलन हो रहे हैं। अब झूठ और फरेब ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा।
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ईसा मसीह के 3,114 वर्ष पूर्व कलियुग की शुरुआत हुई थी। आज इसके 5,130 वर्ष बीत चुके हैं। 130 वर्ष पहले ही विश्व में औद्योगिक क्रांति के परिणाम निकलने शुरू हुए थे। निश्चित ही पिछले 100-200 वर्षों से संपूर्ण दुनिया में परिवर्तन का युग चल रहा है। मानव आज अंतरिक्ष में रहने लगा है और भविष्य में वह किसी अन्य ग्रह पर रहने भी लगेगा।
इस्लाम धर्म नष्ट हो जाएगा : भविष्य पुराण में भारत के राजवंशों और भारत पर शासन करने वाले विदेशियों के बारे में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। इस पुराण के संबंध में कहा जाता है कि यह हर्षवर्धन के काल में लिखा गया हो सकता है अर्थात सन् 600 ईस्वी में। लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं कि यह तो वेदव्यास की रचना है, जो 3,000 ईसा पूर्व हुए थे। खैर..
इस पुराण में द्वापर और कलियुग के राजा तथा उनकी भाषाओं के साथ-साथ विक्रम-बेताल तथा बेताल पच्चीसी की कथाओं का विवरण भी है। सत्यनारायण की कथा भी इसी पुराण से ली गई है। इस पुराण में ऐतिहासिक व आधुनिक घटनाओं का वर्णन किया गया है। इसमें ईसा मसीह का जन्म, उनकी भारत-यात्रा, मुहम्मद साहब के अरब में आविर्भाव का वर्णन भी मिलता है। आल्हा-उदल के इतिहास का प्रसिद्ध आख्यान इसी पुराण के आधार पर प्रचलित है।
इस पुराण में नंद वंश, मौर्य वंश एवं शंकराचार्य आदि के साथ-साथ इसमें मध्यकालीन हर्षवर्धन आदि हिन्दू और बौद्ध राजाओं तथा चौहान एवं परमार वंश के राजाओं तक का वर्णन प्राप्त होता है। इसमें तैमूर, बाबर, हुमायूं, अकबर, औरंगजेब, पृथ्वीराज चौहान तथा छत्रपति शिवाजी के बारे में भी स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
सन् 1857 में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी बनने और आंग्ल भाषा के प्रसार से भारतीय भाषा संस्कृत के विलुप्त होने की भविष्यवाणी भी इस ग्रंथ में स्पष्ट रूप से की गई है। इसी पुराण का निम्न श्लोक हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं, जो प्रतिसर्ग पर्व में वर्णित है। श्रीमद्भागवत पुराण के द्वादश स्कंध के प्रथम अध्याय में भी वंशों का वर्णन मिलता है।
लिंड्गच्छेदी शिखाहीन: श्मश्रुधारी सदूषक:।
उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम।।25।।
विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मतामम।
मुसलेनैव संस्कार: कुशैरिव भविष्यति ।।26।।
तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषका:।
इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृत:।। 27।। : (भविष्य पुराण पर्व 3, खंड 3, अध्याय 1, श्लोक 25, 26, 27)
व्याख्या : रेगिस्तान की धरती पर एक ‘पिशाच’ जन्म लेगा जिसका नाम महामद होगा, वो एक ऐसे धर्म की नींव रखेगा जिसके कारण मानव जाति त्राहिमाम् कर उठेगी। वो असुर कुल सभी मानवों को समाप्त करने की चेष्टा करेगा। उस धर्म के लोग अपने लिंग के अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे, उनकी शिखा (चोटी) नहीं होगी, वो दाढ़ी रखेंगे, पर मूंछ नहीं रखेंगे। वो बहुत शोर करेंगे और मानव जाति का नाश करने की चेष्टा करेंगे। राक्षस जाति को बढ़ावा देंगे एवं वे अपने को ‘मुसलमान’ कहेंगे और ये असुर धर्म कालांतर में स्वत: समाप्त हो जाएगा।
भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। भविष्य पुराण के अनुसार इसके श्लोकों की संख्या 50,000 के लगभग होनी चाहिए, परंतु वर्तमान में कुल 14,000 श्लोक ही उपलब्ध हैं। यह पुराण ब्रह्म, मध्यम, प्रतिसर्ग तथा उत्तर- इन 4 प्रमुख पर्वों में विभक्त है। ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन प्रतिसर्ग पर्व में वर्णित है। यह पुराण भारतवर्ष के वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का आधार है। इसके प्रतिसर्ग पर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खंड में इतिहास की महत्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इतिहास लेखकों ने प्राय: इसी का आधार है!
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